Vidyalay ke sarvottam chhatra ka parichay dete hue apne mitra ko patra likhe
अ० ब० स०
बदरपुर, नई दिल्ली – 110044
10 मई, 20XX
प्रिय मित्र अनुराग,
तुमने मुझसे पिछले पत्र में मेरे विद्यालय के सर्वोत्तम छात्र का परिचय जानने की इच्छा की थी, तुम्हें इसलिए मैं यह पत्र लिख रहा हूॅं।
वैसे तो मेरे विद्यालय में कई सैकड़ों व हजारों छात्र हैं, पर उन सभी में से ” विनीत ” सबसे सर्वोत्तम छात्र है। वह अभी कक्षा ‘दसवीं’ में पढ़ता है। मेरे विद्यालय में सभी छात्र श्रेष्ठ व अनुशासित है पर विनीत उन सभी में से सर्वश्रेष्ठ छात्र है। वह हमेशा सही समय पर विद्यालय आता है और वह अपना सारा काम समय अनुसार पुरा कर लेता है। वह हमेशा अपने समय सारणी के अनुसार ही चलता है। विनीत कि जितनी भी प्रशंसा की जाए वह उन छात्रों की तुलना में बहुत कम है।
परीक्षाओं में भी सबसे अधिक अंक लाकर अव्वल स्थान प्राप्त करता है। वह स्कूल के सभी प्रतियोगिता में शामिल होता है, चाहे वह खेलकूद हो, निबंध लेखन या वाद विवाद हो, सभी में वह अव्वल स्थान प्राप्त करता है। विद्यालय के सभी शिक्षक विनीत को चाहते हैं, वह उसे हमेशा प्रेरणा देते रहते हैं कि इसी तरह आगे बढ़ते रहे। विनीत के माता-पिता भी उसकी तरह अनुशासित है और वह भी विनीत को बहुत चाहते हैं।
इतना होशियार होने के बावजूद भी उसका स्वभाव सरल और विनम्र है। वह अपने ऊपर कभी भी अभिमान नहीं करता है और अपने सरल स्वभाव के कारण उसने बहुत से मित्र बना रखे हैं। इसी कारणवश में भी उसका परम मित्र हूॅं।
मित्र अनुराग हो सके तो तुम अगले पत्र में मुझे अपने समय सारणी के बारे में बताना, तुम्हारे अगले पत्र का इंतजार रहेगा। पूजनीय चाचा जी और चाची जी को मेरी तरफ से नमस्कार कहना।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
क० ख० ग०