Swasthya par nibandh

स्वास्थ्य पर निबंध

जब आपके पास अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य होगा, तो आपके पास लंबा जीवन काल होगा। संतुलित आहार लेकर व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है। आवश्यक पोषक तत्वों को याद करे; उनमें से प्रत्येक को उचित मात्रा में लें। दूसरी बात ध्यान देने योग्य बात यह है कि आपको व्यायाम करना चाहिए। स्वास्थ्य का मतलब केवल आपकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से नहीं है बल्कि आप क्या सोचते हैं, आप क्या खाते हैं, आप कैसे विचार करते हैं आदि से है।

स्वास्थ्य एक व्यक्ति की शारीरिक मानसिक और सामाजिक वह 3 को संदर्भित करता है। एक व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेते हुए तब कहा जाता है जब वह किसी भी शारीरिक बीमारियों और मानसिक तनाव से मुक्त होता है। शुरुआत में स्वास्थ्य का मतलब केवल शरीर को अच्छी तरह से कार्य करने की क्षमता होती थी। इसको केवल शारीरिक दिक्कत या बीमारी के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता था। आज एक व्यक्ति को स्वस्थ तब माना जाता है जब वह शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मक और संज्ञातमक स्वास्थ्य  का आनंद ले रहा है।

स्वस्थ रहने के लिए जितने भी नियम है वह हमें अपनाने चाहिए, क्योंकि उससे हमारा नुकसान नहीं फायदा है। वह किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं है। क्योंकि हम जितना स्वस्थ रहेंगे उतनी अच्छी हमारी जीवन काल की स्थिति होगी। अगर हम स्वस्थ रहेंगे तो हमारा पूरा परिवार स्वस्थ रहेगा। 

आपको एक छोटी सी कहानी बताती हूं स्वास्थ्य के बारे में–

अमन नाम का एक लड़का अपने मित्र नमन के घर दावत पर गया। नमन का घर सब्जी मंडी के उस पार था। अमन गंदगी और कीचड़ को पार करते हुए नमन की गली में पहुंचा। नमन की गली के लोगों ने जगह– जगह पर कूड़ा, कचड़ा गड्ढे बनाकर पानी डाला हुआ था। जगह– जगह पर गंदगी थी। मक्खी, मच्छर व कीड़े भिनभिना रहे थे। कुत्ते कूड़े को इधर– उधर खींच रहे थे। यह दृश्य देखकर अमन का हिर्दय घबरा गया। उसने अपनी नाक रुमाल से ढक ली और कीचड़ व कूड़े से बचता हुआ नमन के घर पहुंचा।

नमन के घर उसके बहुत से मित्र उपस्थित थे। सभी ने अमन को देखकर खुशी प्रकट की और एक– दूसरे के हाल-चाल पूछे। तभी नमन की माता जी खाने का सामान लेकर आई। सभी मित्रों ने खाने की  प्लेटें उठाई। अमन ने नमन से कहा– “मित्र! मैं हाथ धोना चाहता हूं।” 

रोहन (नमन का छोटा भाई) बोला–“भैया! आपके हाथ तो साफ हैं।” 

अमन ने कहा–“रोहन, हमें कुछ भी खाने से पहले हाथ धोने चाहिए।” 

रोहन ने पूछा–“क्यों?” 

अमन ने कहा– “ रोहन हमारा वातावरण बहुत दूषित है। वातावरण में इतने छोटे-छोटे कीटाणु होते हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते। वह हमारे हाथों में चिपक जाते हैं और भोजन के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। उन्हीं से अनेक बीमारियां; जैसे–मलेरिया, डायरिया, टी० बी० आदि फैलती है।” 

अमन ने अपने हाथ धोए। उसके बाद सभी ने मिलकर भोजन किया। भोजन के बाद सभी मित्रों ने अमन को देखकर अपने हाथ धोए व कुल्ला किया।

रोहन (फिर उत्सुकता से बोला)– “भैया! आपने खाने के बाद कुल्ला क्यों किया?” 

अमन– रोहन, खाने के बाद हमें अपने दांतो की सफाई अवश्य करनी चाहिए। यह हमारे दांतो के लिए बहुत आवश्यक है। क्योंकि हम जो भी खाते हैं, उसके कुछ अवशेष हमारे दांतो में लगे रह जाते हैं जो हमारे दांतो में चिपककर मसूड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।

यही वजह है कि नन्हे –मुन्ने बच्चों के दांत खराब हो जाते हैं। 

घर चलते समय अमन ने नमन के घर के सभी लोगों से नमस्कार किया। तभी रोहन बोला– भैया! आप बार-बार आया कीजिए। हमें आपसे बहुत सारी ज्ञान की बातें सीखने के लिए मिलती है।

अमन ने धन्यवाद के साथ सभी से विदा ली।

अगले दिन स्कूल में पहुंचकर अमन सबसे पहले अपने प्रधानाचार्य के पास गया तथा वहां उनके सामने एक प्रस्ताव रखा–“सर! हमें अपने शहर में एक सफाई – अभियान आरंभ करना चाहिए।”

प्रधानाचार्य ने कहा–“अमन, मुझे तुम्हारा प्रस्ताव पसंद है। परंतु सबसे पहले यह शुभकार्य हम अपने स्कूल से आरंभ करेंगे।” 

अमन ने कहा–“सर! मेरे पास एक अच्छा सुझाव है। क्यों न हम कैंप का आयोजन करें जिसमें विभिन्न स्कूलों के अध्यापकों और छात्रों को बुलाकर इस अभियान के बारे में बताएं।” 

प्रधानाचार्य ने कहा–ठीक है।

रविवार का दिन था। विभिन्न स्कूलों के अध्यापक और छात्र अमन के स्कूल में एकत्र हुए।

कैंप में प्रधानाचार्य ने भाषण शुरू किया–शिक्षकों और बच्चों! हम सब मिलकर एक योजना बनाना चाहते हैं, जिसके अंतर्गत स्कूल व नगर की सफाई की जिम्मेदारी हम अपने ऊपर लेंगे।

हम सभी अपने– अपने छात्रों को कुछ निर्देश देंगे; जैसे– हमें अपना व अपने घरों का कूड़ा; कूड़ेदान में ही फेंकना होगा। नालियों को साफ रखना होगा। सड़कों पर सभी कूड़ेदानो को ढककर रखना होगा। सड़कों को टूटने– फूटने से बचाना होगा, जिससे वहां गंदा पानी न भर सके।

इससे हम सड़क पर पैदा होने वाले कीड़े– मकोड़ों व मच्छरों को रोक सकते हैं। अंत में अध्यापकों व बच्चों ने प्रधानाचार्य जी का समर्थन किया और उन्हें आश्वासन दिया कि हम अपने नगर को एक पूर्ण स्वच्छ व सुंदर नगर बनाएंगे। 

इस कहानी से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि हमें भी इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना चाहिए। स्वस्थ जीवन जीने का एक अलग ही प्रकार का आनंद होता है।

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