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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! प्रश्न और उत्तर

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Sana Sana Hath Jodi Questions and Answers

प्रश्न: 1 हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

उत्तर – भारत की आज़ादी की लड़ाई में हर धर्म और वर्ग के लोगों ने आगे आकर और बढ़-चढ़कर भाग लिया था। यही एकता हम भारतवासियों की असली और  सच्ची ताकत हुआ करती थी। ये कहानी एक गौनहारिन (गाना गाने तथा नाचकर लोगों का मनोरंजन करने वाली) दुलारी के मूक योगदान को रेखांकित करती है। इस कहानी में लेखक ने टुन्नू व दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से उस वर्ग को उभारने की कोशिश की है, जो समाज में हीन या उपेक्षित वर्ग के रूप में देखे जाते हैं। टुन्नू व दुलारी दोनों ही कजली गायक हैं। टुन्नू ने आज़ादी के लिए निकाले गए जलूसों में भाग लेकर व अपने प्राणों की आहूति देकर ये सिद्ध किया कि ये वर्ग मात्र नाचने या गाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं और फिर इसी से प्रेरण लेते हुए दुलारी भी रेशम छोड़कर खद्दर धारण कर लेती है। वह अंग्रेज सरकार के मुखबिर फेंकू सरदार की लाई विदेशी धोतियों का बंडल विदेशी वस्त्रों की होली जलाने के लिए दे देती है। दुलारी का यह कदम क्रांति का सूचक है। यदि दुलारी जैसी समाज में उपेक्षित मानी जाने वाली महिला, जो पैसे के लिए तन का सौदा करती है, और तुम ये अंदाज़ा लगा सकते हो की इसे बाद लोगो पे इसका कैसा व्यापक प्रभाव हुआ होगा, लेखक ने इस कहानी में बड़ी कुशलता से इस योगदान को उभारा है।

प्रश्न: 2 कठोर हृदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

उत्तर – दुलारी अपने कठोर स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थी परन्तु दुलारी का स्वभाव नारियल की तरह था। वह एक अकेली स्त्री थी। इसलिए स्वयं की रक्षा हेतु वह कठोर आचरण करती थी। परन्तु अंदर से वह बहुत नरम दिल की स्त्री थी पर कठोर हृदय समझे जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर इसलिए विचलित होती क्योंकि   टुन्नू, जो उसे प्रेम करता था, उसके लिए उसके हृदय में बहुत खास स्थान था परन्तु वह हमेशा टुन्नू को दुतकारती रहती थी इसी लिए टुन्नू की हत्या का समाचार सुनकर दुलारी फूट-फूट कर रोने लगी।  इसी वजह से दुलारी ने झींगुर से टुन्नू की हत्या की जाने वाले जगह के बारे में पूछा था।

प्रश्न: 3 कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा?‌ कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख करें।

उत्तर – कजली तीज के अवसर पर गाया जाने वाला एक लोकगीत है। इसमें दो पक्षों के बीच संगीत युद्ध होता है। कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन विशेषतः लोगों का मनोरंजन के लिए होता है।उस समय यह आयोजन मात्र मंनोरंजन का साधन हुआ करता था। परन्तु फिर भी इनमें लोगों की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा करता था। इन कजली गायकों को बुलवाकर समारोह का आयोजन करवाया जाता था । अपनी प्रतिष्ठा को उसके साथ जोड़ दिया जाता था और यही ऐसे समारोहों की जान हुआ करते थे। उनकी हार जीत पर सब टिका हुआ होता था। भारत में तो विभिन्न स्थानों पर अलग−अलग रूपों में अनेकों समारोह किए जाते हैं; जैसे- तमाशा, नौटंकी, स्वांग, गवरी, मेले, रामलीला, रासलीला, रम्मत, ख्याल, आदि ऐसे कुछ अन्य लोक आयोजन है जो राजस्थान के विभिन्न इलाकों में बहुत मशहूर है।

प्रश्न: 4 दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक संस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चरित्रिक ‌ विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर – दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को दुलारी की निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताएं सिद्ध करती है

1. कजली गायन में निपुणता-दुलारी दुक्कड़ पर कजली गायन की जानी पहचानी गायिका है। वह गायन में इतनी कुशल है कि अन्य गायक उसका मुकाबला करने से डरते हैं। वह जिस पक्ष में गायन के लिए खड़ी होती है, वह पक्ष अपनी जीत सुनिश्चित मानता है।

2. कठोर स्वभाव : दुलारी अपने प्रकाश व कठोर स्वभाव के लिए जानी जाती थी वह कुछ भी गलत होता देख सहन नहीं कर पाती थी।

3. देशभक्ति तथा राष्ट्रीयता की भावना-दुलारी देशभक्ति एवं राष्ट्रीयता की भावना के कारण विदेशी साड़ियों का बंडल होली जलाने वालों की ओर फेंक देती है।

4. कोमल हृदय : टुन्नू की मृत्यु से दुलारी का मन कातर हो उठा। वह अपने मन की भावनाओं को रोक नहीं पाई और अपने पड़ोसियों के सामने विलाप करने लग गई।

प्रश्न: 5 दुलारी का टुन्नु से पहली बार परिचय कहांँ और किस रूप से हुआ?

उत्तर – दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय दीजिए त्यौहार पर आयोजित दंगल कजली मैं हुआ था उसमें दुलारी खोजना गांव की तरफ से गा रही थी और  इस कजली दंगल का आयोजन खोजवाँ बाज़ार में हो रहा था।टुन्नू उसके विपरीत व जिला वालों की ओर से गा रहा था यही दोनों की पहली मुलाकात में परिचय हुआ था।

प्रश्न: 6 दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था– “तैं सरबउला बोला जिन्नगी में कब देख ले लोट?..।” दुलारी के इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – दुलारी का टुन्नू को यह कहना उचित था- “तैं सरबउला बोल ज़िन्दगी में कब देखने लोट?…! ” क्योंकि टुन्नू अभी सोलह सत्रह वर्ष का है। उसके पिताजी गरीब पुरोहित थे जो बड़ी मुश्किल से गृहस्थी चला रहे थे। टुन्नू ने अब तक लोट (नोट) देखे नहीं। उसे पता नहीं कि कैसे कौड़ी-कौड़ी जोड़कर लोग गृहस्थी चलाते है। यहाँ दुलारी ने उन लोगों पर आक्षेप किया है जो असल ज़िन्दगी में कुछ करते नहीं मात्र दूसरों की नकल पर ही आश्रित होते हैं। उसके अनुसार इस ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता। इस ज़िन्दगी में कब नोट या धन देखने को मिल जाए कोई कुछ नहीं जानता। इसलिए हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

प्रश्न: 7 भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

उत्तर – भारत के स्वीधनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान कुछ इस प्रकार दिया विदेशी वस्त्रों के बाहिष्कार हेतु चलाए जा रहे आन्दोलन में दुलारी ने अपना योगदान रेशमी साड़ी व फेंकू द्वारा दिए गए रेशमी साड़ी के बंडल को देकर दिया। बेशक वह प्रत्यक्ष रूप में आन्दोलन में भाग नहीं ले रही थी फिर भी अप्रत्यक्ष रूप से उसने अपना योगदान दिया था। और भारत के स्वीधनता आंदोलन में टुन्नू  ने अपना योगदान कुछ इस प्रकार दिया  टुन्नू ने स्वतन्त्रता संग्राम में एक सिपाही की तरह अपना योगदान दिया था। उसने रेशमी कुर्ता व टोपी के स्थान पर खादी के वस्त्र पहनना आरम्भ कर दिया। अंग्रेज विरोधी आन्दोलन में वह सक्रिय रूप से भाग लेने लग गया था और इसी सहभागिता के कारण उसे अपने प्राणों का बालिदान देना पड़ा।

प्रश्न: 8 दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला‌ थी? यह प्रेम दुलारी के देश प्रेम तक कैसे पहुंँचाता है?

उत्तर – दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे कलाकार मन और उनकी कला है यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक पहुँचाता है। दुलारी टुन्नू की काव्य प्रतिभा और मधुर स्वर पर मुग्ध थी। यौवन के अस्ताचल पर खड़ी दुलारी के हृदय में कहीं उसने अपना स्थान बना लिया था। टुन्नू भी उस पर आसक्त था परंतु उसके आसक्त होने का संबंध शारीरिक न होकर आत्मिक था। अतः दोनों के मध्य संबंध का कारण कला और कलाकार मन ही थे।दुलारी और टुन्नू के ह्रदय में एक दूसरे के प्रति अगाध प्रेम था और ये प्रेम उनकी कला के माध्यम से ही उनके जीवन में आया था। दुलारी ने टुन्नू के प्रेम निवेदन को कभी स्वीकारा नहीं परन्तु वह मन ही मन उससे बहुत प्रेम करती थी। वह यह भली भांति जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक ना होकर आत्मिय प्रेम था और टुन्नू की इसी भावना ने उसके मन में उसके प्रति श्रद्धा भावना भर दी थी। परन्तु उसकी मृत्यु के समाचार ने उसके ह्रदय पर जो आघात किया, वह उसके लिए असहनीय था। अंग्रेज अफसर द्वारा उसकी निर्दयता पूर्वक हत्या ने, उसके अन्दर के कलाकार को प्रेरित किया और उसने स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा आयोजित समारोह में अपने गायन से नई जान फूंक दी। यही से उसने देश प्रेम का मार्ग चुना।

प्रश्न: 9 जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलो में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना किस मानसिकता को दर्शाता हैं?

उत्तर – स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले देशभक्तों का एक जलूस जा रहा था उन लोगों ने चारों ओर से चद्दर के कौने पकड़े थे। जिसमें की विदेशी व फटे-पुराने कपड़े लोग फेंक रहे थे ।और तभी दुलारी द्वारा विदेशी वस्त्रों के ढेर में कोरी रेशमी साड़ियों का फेंका जाना यह दर्शाता है कि वह एक सच्ची हिन्दुस्तानी है, जिसके ह्रदय में देश के प्रति प्रेम व आदरभाव है। देश के आगे उसके लिए साड़ियों का कोई मूल्य नहीं है। उसके ह्रदय में उन रेशमी साड़ियों का मोह नहीं था। मोह था तो अपने देश के सम्मान का। वह उसकी सच्चे देश प्रेमी की मानसिकता को दर्शाता है। 

प्रश्न: 10 “मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?

उत्तर – टुन्नू दुलारी से बहुत प्रेम करता था। वह होली के त्यौहार में दुलारी के लिए एक खद्दर की साड़ी लाया था। वह साड़ी दुलारी को देकर वह अपने प्रेम कि भावनाओं को प्रकट करता है। पर  वह दुलारी से उम्र में बहुत ही छोटा था। वह मात्र सत्रह − सोलह साल का लड़का था। दुलारी को उसका प्रेम उसकी उम्र की नादानी के अलावा कुछ नहीं लगता था। इसलिए वह उसका तिरस्कार करती रहती थी। परन्तु इन वाक्यों ने जैसे एक अल्हड़ लड़के में प्रेम के प्रति सच्ची भावना देखी। उसका प्रेम शरीर से ना जुड़कर उसकी आत्मा से था। टुन्नू के द्वारा कहे वचनों ने दुलारी के ह्रदय में उसके आसन को और दृढ़ता से स्थापित कर दिया। टुन्नु के प्रति उसके विवेक ने उसके प्रेम को श्रद्धा का स्थान दे दिया। अब उसका स्थान अन्य कोई व्यक्ति नहीं ले सकता था।

प्रश्न: 11 “एही ठैयाँ झुलनी हेरनी हो रामा।” का प्रतीकार्थ समझाइए।

उत्तर – प्रस्तुत वाक्य महाराष्ट्र की लोकभाषा में रचित गीत की एक पंक्ति है जिसका अर्थ है इसी स्थान पर मेरे नाक की नथनी खो गई है। महाराष्ट्र में नाक की नथनी व लौंग को सुहाग का प्रतीक मा जाता है। प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से दुलारी यह कहना चाहती थी कि इसी स्थान पर मेरा प्रियवर खो गया है यानी मेरा सुहाग लुट गया है । दुलारी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसी स्थान पर टुन्नू की हत्या की गई थी। दुलारी की मनोस्थिति देखें तो जिस स्थान पर उसे गाने के लिए आमंत्रित किया गया था, उसी स्थान पर टुन्नू की मृत्यु हुई थी तो उसका प्रतीकार्थ होगा – इसी स्थान पर मेरा प्रियतम मुझसे बिछड़ गया है। अब मैं किससे उसके बारे में पूछूँ कि मेरा प्रियतम मुझे कहाँ मिलेगा? अर्थात् अब उसका प्रियतम उससे बिछड़ गया है, उसे पाना अब उसके बस में नहीं है।

पाठ 5 : मैं क्यों लिखता हूँ? प्रश्न और उत्तर कृतिका Class 10

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