भगवान बड़े कि भगवान का नाम बडा?

भगवान बड़े कि भगवान का नाम बडा?

आज इस कहानी में हम पढ़ेंगे कि भगवान बड़े कि भगवान का नाम बड़ा।

अयोध्या में रामराज्य होने के बाद एक बार सभा में शास्त्रार्थ हो गया कि भगवान बड़े हैं कि भगवान का नाम बड़ा है ? श्री राम बड़े हैं कि उनका नाम बड़ा ?’

कई साधु-संतों, ऋषि-मुनियों और मंत्रियों ने कहा : “भगवान श्रीरामचन्द्रजी प्रत्यक्ष हैं। आँखों से उनके दर्शन कर रहे हैं, कानों से उनकी वाणी सुन रहे हैं, भगवान बड़े हैं।”

दूसरे ऋषियों ने कहा : “नहीं, ये तो इन्द्रियों से दिखते हैं परंतु भगवान का नाम तो इन्द्रियों से सुनाई पड़ता है और मन-बुद्धि को पावन भी करता है और चित्त को चेतना भी देता तो भगवान का नाम बड़ा है।”

“लेकिन भगवान हैं तो भगवान का नाम है न!”

सब अपने-अपने ढंग से व्याख्या करें। दोनों पक्षों की बात सच्ची लगती। कोई निर्णय नहीं हो रहा था तो देवर्षि नारद जी ने बीड़ा उठाया । नारदजी गये हनुमानजी के पास, बोले : “कल सभा में तुम आओगे तो रामजी, महर्षि वशिष्ठ जी आदि सबको प्रणाम करना पर विश्वामित्र जी को पीठ दिखा देना और पूंछ को झटककर घोड़े की तरह आवाज कर देना।”

हनुमान जी चौंके, बोले : “विश्वामित्रजी तो तेजस्वी हैं, गुस्सा हो जायेंगे तो?”

“मैं तुम्हारे साथ हूँ न !”

हनुमान जी ने वैसा ही किया । नारदजी विश्वामित्र जी के पास बैठे थे, बोले : देखो, यह बंदर क्या करता है ! आपका घोर अपमान हो रहा है, पीठ तो दे रहा है, साथ ही आपके सामने पूँछ को कोडे की नई झटक दिया !”

विश्वामित्र जी ने गर्दन की : “है राम ! मैं इस बंदर को मृत्युदंड दिलाना चाहता हूँ।”

सारी सभा में सन्नाटा छा गया !

“दिशाएँ सुन लो, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, देवता सुन लो, राम मिथ्याभाषी नहीं हैं और अवज्ञा नहीं करेंगे । जैसे रावण को स्वधाम भेज दिया ऐसे ही इस हनुमान को कल सरयू-किनारे अपने तीक्ष्ण बाणों से मृत्युदंड देंगे।”

रामजी की कैसी परीक्षा ! एक तरफ इतना समर्पित शिष्य… प्राण हथेली पर लेकर सब काम करते थे हनुमानजी :

राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ।
(श्री रामचरित. सुं.कां. : १) अब प्रिय सेवक को राम जी तीक्ष्ण बाणों से मारें यह भी कठिन है और गुरु विश्वामित्र को कहें कि ‘यह काम नहीं होगा’, रामजी के लिए यह भी कठिन है। राम जी ने कहा : “जो आज्ञा ! दास राम गुरु की आज्ञा से अन्यथा नहीं कर सकता है।”

अब अयोध्या में हाहाकार मच गया । हनुमानजी को चिंता हुई कि ‘प्रभु के बाण अगर व्यर्थ हो गये तो उनके लिए अच्छा नहीं और प्रभु के हाथ से मैं मर गया तो इतिहास में प्रभु को लोग क्या-क्या बोलेंगे।’

( क्या आपको लगता है राम भगवान हनुमान जी के ऊपर बान चलाएंगे, आगे की कहानी जानने के लिए हमारे अगले आर्टिकल का इंतजार कीजिए जो अगले महीने कि 12 तारीख को ढल जाएगा और उसका लिंक इसके नीचे भी लगा देंगे।)

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