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प्रदूषण पर निबंध - Class Of Achievers

प्रदूषण पर निबंध

Pradushan Par Nibandh

विज्ञान ने मानव को अनेक उपहार दिए हैं तथा उसके जीवन को मुखी बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। विज्ञान के कारण ही आज का मानव जल, थल और आकाश का स्वामी बन बैठा है। आज वह पाषाण युग के मानव की भाँति लाचार नहीं वरन हर प्रकार से समर्थ एवं शक्तिवान है। विज्ञान ने जहाँ हमें अनेक प्रकार के वरदान दिए हैं, वहीं कुछ समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनमें प्रदूषण की समस्या प्रमुख है।

प्रदूषण दो शब्दों से मिलकर बना है प दूधण अर्थात् दोपयुक्त । प्रदूषण का साधारण अर्थ है पर्यावरण के संतुलन का दोषपूर्ण हो जाना। प्रदूषण के कारण ही जल, थल और वायु दूषित हो गई है।

आबादी के निरंतर बढ़ने के कारण भूमि पर दबाव पड़ता है। भूमि की मात्रा को बढ़ाया नहीं जा सकता, इसलिए बढ़ती जनसंख्या की आवास की समस्या तथा नए उद्योग-धंधों के लिए भूमि की कमी को वनों की कटाई करके पूरा किया जा रहा है। वनों की अंधाधध कटाई के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। साथ ही सड़कों पर बढ़ते यातायात तथा औद्योगिक इकाइयों के कारण निकलते धुएँ से वायु प्रदूषित हो रही है। उद्योग-धंधों का गंदा पानी तथा अन्य प्रकार की गंदगी नदियों के जल में बहा दी जाती है। इससे जल प्रदूषित हो रहा है। आकाश में उड़ते विमान, कल कारखानों तथा वाहनों आदि की ध्वनि से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।

प्रदूषण मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण इनमें वायु प्रदूषण का प्रकोप बड़े-बड़े महानगरों तथा औद्योगिक केंद्र वाले नगरों पर हुआ है। वाहनों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएँ में जहरीली गैसें होती हैं, जिससे वायु प्रदूषित हो जाती है तथा उसमें सांस लेने से श्वास, त्वचा, आँख आदि के रोग हो जाते हैं। जल प्रदूषण के कारण पेट के रोग हो जाते हैं।

कारखानों से निकलने वाला कचरा नदियों, नालों में बहा दिया जाता है, जो जल को इतना प्रदूषित कर देता है, कि उसे पीने से व्यक्ति हैजा, अजीर्ण, आंत्रशोथ जैसे अनेक रोगों का शिकार हो जाता है। बड़े-बड़े नगरों में आवास की भारी समस्या है। इसलिए वहाँ झुग्गी-झोणड्ियाँ बन जाती हैं जिनमें मजदूर आदि रहते हैं। इनके कारण गंदगी होती है तथा भूमि पर प्रदूषण होता है। मुंबई की चालें, दिल्ली की झुग्गी झापडियाँ, कानुपर, चेन्नई तथा कोलकाता के स्लम इसके उदाहरण हैं।

साथ ही अधिक अन्न उगाने के लिए जिस प्रकार कीटनाशकों तथा रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है, उससे भी भूमि प्रदूषित होती है। भूमि पर प्रदूषण के कारण अनेक बीमारियों का जन्म होता है। महानगरों में वाहनों, लाउडस्पीकरों, मशीनों तथा कल-कारखानों के बढ़ते शोर के कारण ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ गया है, जिसके कारण रक्तचाप, हृदय रोग, कान के रोग आदि जन्म लेते हैं।

आज प्रदूषण मानव-स्वास्थ्य को धीरे-धीरे धुन की भाँति खाए जा रहा है। मलेरिया हेजा चिकनगुनिया, कैंसर, श्वास के रोग, उच्च रक्तचाप आदि बीमारियों प्रदूषण के कारण बद रही हैं। यद्यपि प्रदूषण एक विश्वव्यापी समस्या है, तथापि इसका एकमात्र समाधान वृक्षारोपण है। वृक्ष वातावरण का शुद्ध वायु प्रदान करते हैं औद्योगिक इकाइयों को घनी आबादी वाले क्षेत्रों से हटाकर नगरों से दूर स्थापित करके तथा वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाकर प्रदूषण के विस्तार को रोका जा सकता है।

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