दूरदर्शन पर निबंध

Doordarshan Par Nibandh

आज के युग को विज्ञान का युग’ कहा जाता है। विज्ञान ने मनुष्य को नए नए आविष्कारों के रूप में अनेक उपहार दिए हैं। दूरदर्शन भी उन्हीं में से एक है, जिसके द्वारा मनुष्य घर बैठे ही मनोरंजन प्राप्त कर सकता है। दूरदर्शन का आविष्कार सन 1925 में महान वैज्ञानिक जेम्स लोगी बेयर्ड ने किया था भारत में 15 सितंबर, 1959 को तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ० राजेंद्र प्रसाद ने प्रथम दूरदर्शन कार्यक्रम का उदघाटन किया था।

दूरदर्शन ने हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है। दूरदर्शन पर अनेक कार्यक्रम दिखाए जाते हैं, जिनसे मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन भी होता है। इस पर दिखाए जाने वाले नाटकों, कहानियों, फिल्मों, खेलकूद कार्यक्रमों, समाचारों आदि से हमें अनेक प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। आजकल तो इस पर देश-विदेश की घटनाओं का आँखों देखा हाल भी प्रसारित किया जाता है। कृषि दर्शन में जहाँ किसानों के लिए खेती-बाड़ी संबंधी उपयोगी जानकारी दी जाती है, वहीं विद्यार्थियों के लिए अनेक कार्यक्रम दिखाए जाते हैं जिनसे ज्ञान में वृद्धि होती है।

पहले इस पर दिखाए जाने वाले चित्र श्वेत-श्याम थे, परंतु आज तो इस पर रंगीन चित्र दिखाए जाते हैं। दूरदर्शन शिक्षा का बहुत उपयोगी माध्यम है। इसके कार्यक्रमों को बच्चे-बूहे, शिक्षित अशिक्षित सभी बड़े चाव से देखते हैं आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो दूरदर्शन के कार्यक्रमों से परिचित न हो। आज यह गाँव-गाँव में पहुँच चुका है। इस पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों से अनेक बुराइयाँ भी समाप्त की जा सकती हैं। अनेक ऐसी घटनाएँ जिन्हें हम देख नहीं पाते, वे इसके दूवारा सीधे हम तक पहुंचा जाती हैं। 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रम अब हम घर बैठे ही देखा सकते हैं।

दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले महाभारत, रामायण, हम लोग और चाणक्य जैसे धारावाहिक हमारे देश में ही नहीं, विदेशों में भी पसंद किए गए हैं। आजकल ती इस पर मौसम संबंधी जानकारी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, संसद समाचार, कानूनी जानकारी तथा शिक्षा संबंधी अनेक उपयोगी कार्यक्रम भी दिखाए जा रहे हैं।

दूरदर्शन जहाँ इतना उपयोगी है, वहीं इससे कुछ हानियाँ भी हैं। अधिक देखने तथा ठौक प्रकार से न देखने पर इसका आँखा पर बुगा प्रभाव पड़ता है। इस पर दिखाई जाने वाली फिल्मों के गंद दृश्यों के कारण समाज में अनुशासनहीनता तथा अनेक बुराइयाँ फैलती दूरदर्शन के कारण आज अधिकांश विद्यार्थी पढ़ने में अपना ध्यान नहीं लगाते, वरन् हर समय दूरदर्शन ही देखते रहते हैं। विद्यार्थी का कर्तव्य है, कि वे दूरदर्शन का उपयोग ठीक प्रकार से करें। पढ़ाई के समय को व्यर्थ व्यय न करें तथा कंवल अच्छे एवं उपयोगी कार्यक्रम ही देखें।

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